सीधे स्कूल आवंटन का विरोध शुरू, कई शिक्षक पहुंचे अदालत, फिर अटक सकते हैं बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादले, कहां फंस रहा है पेच? inter district mutual transfer of teacher

सीधे स्कूल आवंटन का विरोध शुरू, कई शिक्षक पहुंचे अदालत, फिर अटक सकते हैं बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादले, कहां फंस रहा है पेच?
डेढ़ साल से अटके बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर एक बार फिर फंस सकते हैं। बिना काउंसलिंग के सीधे म्यूचुअल स्कूल आवंटित करने से नाराज शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है। कुछ शिक्षक कोर्ट चले गए हैं। कई कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।



बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर की प्रक्रिया फरवरी 2023 में शुरू हुई थी। पहले भी कई तकनीकी पेच और विवादों की वजह से यह प्रक्रिया लेट होती रही। पिछले साल अक्टूबर में ऑनलाइन पेयर बनाने की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। सिर्फ स्कूल आवंटन और रिलीविंग का काम बचा था। चुनाव आचार संहिता के कारण भी कई महीने प्रक्रिया रुकी रही। अब 19 जून को तबादलों के लिए अहं शिक्षकों की लिस्ट जारी की गई। हालांकि, लिस्ट के साथ जो आदेश जारी किया गया, वह शिक्षकों को रास नहीं आया। बेसिक शिक्षा परिषद ने नए आदेश में कहा है कि शिक्षकों का म्यूचुअल तबादला सीधे उसी स्कूल में किया जाएगा, जिसके शिक्षक के साथ म्यूचुअल जोड़ा बनाया था।

पहले जो नियम था, वही ' लागू किया जाए'

शिक्षक इससे नाराज हैं। करीब 36 शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कई और कोर्ट जाने की तैयारी में है। उनका कहना है कि पहले से जो नियम है, उसी को लागू करना चाहिए। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि पहले भी अंतरजनपदीय तबादले किए गए हैं। जिले में पहुंचने के बाद काउंसलिंग के आधार पर BSA शिक्षकों को स्कूल आवंटित करते है। यही पहले आदेश भी था। ऐन वक्त पर प्रक्रिया में बदलाव उचित नहीं। नियमों का पालन नहीं होगा तो शिक्षक कोर्ट जाने के लिए बाध्य होंगे। इससे प्रक्रिया फिर फंस सकती है।


कहां फंस रहा है पेच?
समझिए खबरों के इससे पहले जब अंदर की बात भी अंतरजनपदीय तबादले हुए है, उनमें तबादले के बाद वरिष्ठता सूची जारी होती है। उसी आधार पर BSA दूरी के हिसाब से स्कूल आवंटित करते है। शिक्षकों का कहना है कि नियमावली में भी यही है कि जिले के अंदर स्कूल आवंटन करने का अधिकार BSA को है। सचिव सीधे स्कूल आवंटित नहीं कर सकते। इस साल भी शुरुआत में यही आदेश जारी किया गया था।

अब ऐन वक्त पर उसी आदेश का पालन नहीं किया जा रहा। दिव्यांग और महिला शिक्षकों को भी काउंसलिंग के जरिए लाभ दिया जाता है। उनको भी अधिकार से वंचित किया जा रहा है। शिक्षकों का यह भी कहना है कि शिक्षक दूसरे जिले से अपनी वरिष्ठता गंवाकर नजदीक के जिले में आना चाहते हैं। वरिष्ठता गंवाने के बाद भी उनको दूर-दराज के स्कूल आवंटित किए जाएंगे तो वे दूसरे जिले में क्यों जाएगे?

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